श्री राम दीवाना जा रहा था,
हवा के झोंके से,
तीर भरत ने मार दिया,
हाय रे धोखे से,
मुख से निकला जय सिया राम,
जय सिया राम जय सिया राम,
मुख से निकला जय सिया राम,
जय सिया राम जय सिया राम।।
श्री राम चंद्र और जानकी को,
अपने दिल में बसा लिया,
इतने भारी पर्वत को,
हाथों में उठा लिया,
श्री राम नाम का जाप किया,
हवा के झोंके से,
तीर भरत ने मार दिया,
हाय रे धोखे से,
मुख से निकला जय सिया राम,
जय सिया राम जय सिया राम,
मुख से निकला जय सिया राम,
जय सिया राम जय सिया राम।।
श्री राम दीवाना जा रहा था,
हवा के झोंके से,
तीर भरत ने मार दिया,
हाय रे धोखे से,
मुख से निकला जय सिया राम,
जय सिया राम जय सिया राम,
मुख से निकला जय सिया राम,
जय सिया राम जय सिया राम।।
गायक / प्रेषक – गणेश राजपुत।
माे. 9009204035