शरणा आया जिनवाणी माँ, बस इतना सा उपकार करो, मेरा अनादि मिथ्यात्व हरो, भव-वारिधि से उद्धार करो, शरणा आया जिनवाणी मां।। षट द्रव्य, तत्व, गुण-पर्याएँ, और लोकालोक बताया है, इस देह से भिन्न में चेतन हूँ, हमे भेद-ज्ञान सिखलाया है, जड़ में बुद्धि अब जाए ना, मिथ्या-मति का संहार करो, शरणा आया जिनवाणी मां।। तीर्थंकर […]
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