डोर कदम्ब की डार बंधवा के, झूला राधे को कान्हा झुलाये, डोर कदम्ब की डार बंधवा के, झूला राधे को कान्हा झुलाए।। तर्ज – मनिहारी का भेष। नाचे मन मयूरा गाए पपीहरा, नाचे मन मयूरा गाए पपीहरा, घटा कारी घिर घिर आए, झूला राधे को कान्हा झुलाए।। आया बैरी सावन हुआ बावरा मन, आया बैरी […]
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