करुणामयी किरपामयी, मेरी दयामयी राधे। पद – जुगल नाम सो नेम, जपत नित कुंज बिहारी, अविलोकित रहे केलि सखी, सुख को अधिकारी। गान कला गंधर्व, श्याम श्यामा को तोषे, उत्तम भोग लगाय, मोर मरकट तिमि पोषे। नृपति द्वार ठाड़े रहे, दरसन आशा जासकी, आशधीर उद्योत कर, रसिक छाप हरिदास की। करुणामयी किरपामयी, मेरी दयामयी राधे, […]
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